जबहि नगाडा बजही गया है, सरहद पर शैतान का
नक्षेपरसें नाम मिटा दो, पापी पाकिस्तान का ।।
कभी इधरसे कभी उधरसे, घुसता है गुर्राता है ।
दल झेलम की मधु लहरोंको, गंदे पाव लगाता है ।
केशरपर बारूद छिडकता, अंगारे बरसाता है ।
न्योता देता महाकाल को, अपनी मौत बुलाता है ।
भूल गया है हरब अरब जब, खुदही पापी कुराण का ।
नक्षेपरसे नाम मिटा दो, पापि पाकिस्तान का ।।१।।
बोल दिया है धावा फिर तो, शेरो कदम हटाना मत ।
तपोके प्रलयंकर जबडे, तुम वापस पलटाना मत ।
सिध्दांतोके परिभाषा में, अपने को उलझाना मत ।
धूल उडाओ पिंडीकी अब, पलभर दया दिखाना मत ।
फिर कब ऐसा वक्त मिलेगा, लघुकी यह भुगतान का ।
नक्षेपरसे नाम मिटा दो, पापि पाकिस्तान का ।।२।।
शांती अहिंसा पंचशील के, सरगम कुछ दिन गाओ मत ।
भडक उठा है हर जर्रा तो, भडकी आग बुझाओ मत ।
लाख बार मर जाओ लेकिन, माँ का दूध लजाना मत ।
भरी फसलकी तरह काट दो, जिंदा एक बचाना मत ।
हिन्दुकुशपर फहेरायेंगे, झंडा हिन्दुस्थान का ।
नक्षेपरसे नाम मिटा दो, पापि पाकिस्तान का ।।३।।
खुलकर दोनो हाथ दिखाना, संघानी तलवारोंको ।
हथियारोंसे उत्तर देना, दुष्मन की हूंकारोंको ।
हमें भेट में देना माते, जयचंदे गद्दारोंके ।
छाट छाट कर मुंड काटना, घुसपेटी हथियारोंके ।
गिन गिन के है बदला लेना, जननी के अपमान का ।
नक्षेपरसे नाम मिटा दो, पापि पाकिस्तान का ।।४।।
🏰 श्री शिवप्रतिष्ठान, हिन्दुस्थान 🏰
🚩 गुरुवर्य श्री संभाजीराव भिडे गुरुजी
।। जय भवानी जय शिवराय ।।